रामचरितमानस एहि नामा।
सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा॥

मन करि बिषय अनल बन जरई।
होई सुखी जौं एहिं सर परई॥

रामचरितमानस मुनि भावन।
बिरचेउ संभु सुहावन पावन॥

त्रिबिध दोष दुख दारिद दावन।
कलि कुचालि कुलि कलुष नसावन॥

रचि महेस निज मानस राखा।
पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा॥

तातें रामचरितमानस बर।
धरेउ नाम हियँ हेरि हरषि हर॥

कहउँ कथा सोइ सुखद सुहाई।
सादर सुनहु सुजन मन लाई॥

Author: Shweta Pandey (Varanasi)

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह