वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।।

आगे आगे राम चलत हैं,
पीछे लक्ष्मण भाई,
बीच में उनके चले जानकी,
तीनो लोक की मायी,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

राम बिना म्हारी सूनी अयोध्या,
लखन बिना ठकुराई,
सीता बिना म्हारों सूनी रसोई
कौन करे चतुराई,
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

सावन बरसे भादो गरजै,
पवन चले पुरवाई
कौन वृक्ष नीचे भीजत होंगे
राम लखन सीता माई
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

रावण मार राम घर आए,
घर घर बटत बधाई,
सुर नर मुनि जन करे आरती,
तुलसी दास जस गाई
वन चले राम रघुराई,
संग उनके सीता माई,
राजा जनक की जाई।

Author: भरत कुमार दवथरा

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह