तर्ज – एक प्यार का नगमा है
संकट का नजारा है,
अब तू ही सहारा है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
त्रिभुवन में बड़ा सबसे,
महादेव कहाता है,
भव डूबती नैया को,
तू ही पार लगाता है,
मालिक है ज़माने का,
किश्ती का किनारा है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
चौखट से तेरी कोई,
खाली नही जाता है,
भरता है सदा झोली,
दाताओ का दाता है,
औरो के लिए अम्रत,
खुद जहर पचाया है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
कलि काल में मुश्किल है,
तेरा ध्यान धरु कैसे,
दुश्वार हुआ जीना,
व्रत नेम करू कैसे,
भक्ति ना कोई तप है,
एक नाम तुम्हारा है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
तेरे दर का भिखारी हु,
तेरे द्वार पे आया हु,
झोली को मेरी भर दो,
अरमान ये लाया हु,
चेतन हो तुम्ही जग में,
जग तुमसे ही सारा है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
संकट का नजारा है,
अब तू ही सहारा है,
डमरू वाले भोले भाले,
मैंने दामन पसारा है……
Author: Unknown Claim credit