डम-ढोल नगाड़ा बाजे, झन-झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे महाकाल की बारात में…..
दूल्हा बने भोले भंडारी तन पर भस्म रमाके,
भूत-प्रेत नंदी गण नाचे बज रहे ढोल ढमाके,
मस्तक पर चंदा साजे,नंदी पर आप विराजे,
डम डम डम…..
भांग धतुरा पिये हलाहल दूल्हा बड़ा निराला,
माँ पार्वती के दिल को भाया ये कैसा दिलवाला,
जिसके गले में नाग विराजे,मृगशाला तन पर साजे,
डम डम डम……..
उजले होकर सज गए भोले मोहक रुप बनाए,
ब्रम्हा जी मृदंग बजाते,विष्णु मंगल गाए,
श्रृंगी-भृंगी भी नाचे,देव और दानव भी नाचे,
गौरव तिलक भी नाचे महाकाल की बारात में,
डम डम डम…..
Author: Unknown Claim credit