त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनॆत्रं च त्रियायुधं।
त्रिजन्म पापसंहारम् बिल्वंपत्रम शिवार्पणं॥
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया,
भोलेनाथ,,
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया,
भोलेनाथ…….
(ओ बाबा…..)
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया,
ओ बाबा करदो कृपा मुझपे आज,
ओ बाबा करदो कृपा मुझपे आज,
ओ बाबा करदो कृपा मुझपे आज,
जब -जब सावन आए,
भक्त कावड़ ले आए,
कावड़ का जल चढ़ाएं,
ओ बाबा…….
की देखो जब जब सावन आए,
भक्त कावड़ भी लेकर आए,
ओ बाबा करदो कृपा महाकाल,
ओ बाबा करदो कृपा महाकाल,
ओ बाबा करदो कृपा महाकाल…..
जब जब ध्यान लगाऊ,
शिव शिव जपते जाऊ,
आपका दर्शन पाऊं,
ओ शंभू……
मैं जब जब तेरा ध्यान लगाऊं,
शिव शिव शिव में जपते जाऊ,
ओ शंभू आपका ही दर्शन पाऊं,
ओ शंभू आपका ही में हो जाऊ,
ओ शंभू आपका ही में हो जाऊ….
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया,
मैं देखो उज्जैन नगरी आया,
संग कावड़ भी भरकर लाया,
ओ बाबा करदो कृपा मुझपे आज,
ओ बाबा करदो कृपा भोलेनाथ,
ओ बाबा करदो कृपा भोलेनाथ….
Author: ऋतुराज महाराज