शंकर का डमरू बाजे रे।
कैलाशपति शिव नाचे रे॥
जटाजूट में नाचे गंगा ।
शिव मस्तक पर नाथे चंदा॥
नाचे वासुकी नीलकंठ पर,
नागेश्वर गल साजे रे,
शंकर का…
सीस मुकुट सोहे अति सुंदर।
नाच रहे कानन में कुंडल॥
कंगन नूपुर चर्म-ओढ़नी,
भस्म दिगम्बर राजे रे॥
शंकर का…
कर त्रिशूल कमंडल साजे।
धनुष-बाण कंधे पै नाचे॥
बजे ‘मधुप’ मृदंग ढोल डफ,
शंख नगारा बाजे रे॥
शंकर का…
तीनलौक डमरू जब बाजे।
म डम,डम डम,की ध्यनि गाजे॥
ब्रह्म नाचे, विष्णु नाचे,
अनहद का स्वर गाजे रे॥
शंकर का…
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