धुन- परदेसियों से न अख्खियाँ

भजले हरी को, एक दिन तो है जाना ll,
जीवन को यदि, सफल बनाना,
भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,

किस का गुमान करे, कुछ भी न तेरा ll,
दो दिन का है यह, रैन बसेरा xll
ख़ाली हाथ आया है और, खली हाथ जाना,
भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,

पांच तत्व की, बनी तेरी काया ll,
काया में तेरे, हरि है समाया xll
उसे ढूढ़ने को नहीं, दूर है जाना,
भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,

ये धन दौलत, माल खज़ाना ll,
जिस पे हुआ है तूँ, इतना दीवाना xll
आज है तेरा कल का, नहीं है ठिकाना,
भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,

हरि नाम की एक, ज्योति जगा ले ll,
जो कुछ किया है, उसे तूँ भुला दे xll
दास कहे गर, मुक्ति जो पाना,
भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह