कहां छुपा बैठा है अब तक वह सच्चा इंसान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान,

जिसने रूखा सूखा खाया ,
पर न कहीं ईमान गवाया ,
उसने ही यह भोग लगाया ,
जिसे राम ने रूचि से खाया ,
स्वार्थ रहित सेवा ही उसकी , सेवा सुधा समान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥

जिसने जानी पीर पराई ,
परहित में निज देह खपाई ,
जिसने लगन दीप की पाई ,
तिल तिल कर निज देह जलाई ,
उसकी आभा से ही होगा , देवी का सम्मान,
खोजते जिसे स्वयं भगवान ॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह