मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं,
लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं,

मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा मत ना खोवे तूं,
रचना रची हरि अजब निराली,भेद कोई नही पायो ते,

कर सत संग सफल कर जीवन,अवसर बीत्यो जावे यूं,
पल-पल छिन-छिन आयु जावे,मोत नेङे री आवे यूं

संचित कर्म पुरबला रे कारण,मानव देह धर आयो तूं
सदानन्द थाने भरी सभा में,बार-बार समझावे यूं

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह