श्री महाकाल चालीसा
दोहा:
बंशनिधि चित चेत, ध्यान धरे शिवधाम।
जय हो महाकाल की, करो कृपा श्रीराम॥
चालीसा:
जय महाकाल कराल भयंकर।
काल जगत के तुम हो विधि विधाता॥
त्रिपुरारी प्रभु दयाकर दानी।
त्रिनेत्रधारी करहु कृपा भवभंजनि॥
गंगा बहाती जटा बीच प्यारी।
अर्धचंद्र माथे शोभा न्यारी॥
कंठ सुशोभित नाग सजीव।
गर्जे डमरू शब्द अतीव॥
भस्म रमाय शरीर सुहावे।
दश दिशा में ज्योत जगावे॥
सिंह सवारी भूता अधिकारी।
करहु कृपा दिन दुखहारी॥
शूल धारण करहु कल्याणा।
भक्तन हित मंगल निधाना॥
नंदी भृंगी सेवक तुम्हारे।
रहे सदा आनन्द हमारे॥
भक्तन हित बाणासुर बधायो।
त्रिपुरासुर संहार करायो॥
रावण संहारे दशशीश।
रक्षा करहु दिन दीन के ईश॥
महाकाल की महिमा न्यारी।
सब जगत में ज्योत तुम्हारी॥
जो कोई पाठ करे मन लाई।
दुख संकट नहिं आवें भाई॥
महाकाल की होय सहाय।
सब विधि मिटे अघाय॥
दीनबंधु दुखभंजन दाता।
सदा करो भक्तन पर त्राता॥
दोहा:
जो महाकाल चालीसा, पाठ करे मन लाय।
संकट निकट न आवही, सुख संपत्ति घर आय॥
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