श्री रुद्र चालीसा
॥दोहा॥
नमन शंभु रुद्र को, करूँ चरण अनुराग।
करहु कृपा हे दीनदयाल, हरहु सकल भय भाज॥
॥चालीसा॥
जय रुद्र भगवंत, दयासिंधु आनंद।
दीननाथ दयाल, त्रिभुवन के स्वामंद॥ 1 ॥
शशि ललाट विराजत, गंगोत्तम सोहे।
जटा मुकुट सुशोभित, भस्मांग भूषित मोहे॥ 2 ॥
कंठ गले सर्प शोभे, वाम अंग पार्वती।
नन्दी गजे विराजे, संग भूत गण आरती॥ 3 ॥
त्रिशूल हाथ विराजत, कर डमरू धारी।
रूप अपरंपार, जग पालन कारी॥ 4 ॥
पंचानन स्वरूप, भूत भावन नाथ।
कृपा करो हे शंभु, हरहु सकल कष्ट ब्याथ॥ 5 ॥
चन्द्रशेखर नमो नमः, रुद्र रूप महाराज।
दीन दुखी की रक्षा, शीघ्र करो वरदाय॥ 6 ॥
सुर-नर-मुनि सब पूजत, शिव शंकर महाराज।
भक्तन के दुख दूर कर, करो कृपा समाज॥ 7 ॥
सुमिरन कर जो कोई, संकट हरनहार।
अष्ट सिद्धि नव निधि, करहु दास पर वार॥ 8 ॥
॥दोहा॥
बोलो शिव शंकर महादेव, संकट हारन नाम।
करहु कृपा रुद्र देव, रहु सदा सुखधाम॥
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