श्री नागेश्वर महादेव चालीसा
दोहा:
जय जय नागेश्वर दयाला, भक्तन के तुम हो रखवाला।
दीनन की तुम आस पुकारो, संकट हरहु महेश्वरा॥
चालीसा:
जय जय नागेश्वर महादेव, करहु कृपा, हरहु सब खेद।
दीन दुखी के काज संवारी, संकट हरो नाथ त्रिपुरारी॥
गुजरात भूमि पावन मानी, शिवलिंग जहाँ ज्योति समानी।
नागों के संग वास तुम्हारा, शिवशंकर हो संकटहारा॥
त्रिशूल, डमरू हाथ विराजे, गले में नागराज विराजे।
सर्पों की माला अति प्यारी, भक्तन पर करहु भलिहारी॥
जो कोई श्रद्धा से ध्यावे, संकट से वह मुक्ति पावे।
दर्शन मात्र पाप सब टारे, भवसागर से भव भय हारे॥
रुद्राक्ष की माला जो जपे, संकट से वह दूर न टपे।
गंगाजल जो अर्पण करई, शिवकृपा से सब फल भरई॥
रोग, दोष, भय दूर भगावै, नागेश्वर जो सुमिरन पावै।
जो नर करे सच्ची भक्ति, मिले उसे शिव की शक्ति॥
भक्तन को वरदान तुम दीन्हा, नर-नारी का भाग्य लिखीन्हा।
जो कोई सच्चे मन गावे, इच्छित फल वह नर पावे॥
दोहा:
नागेश्वर हे देव दयाला, करहु कृपा, हरो सब जंजाला।
जो भी शरण तुम्हारी आवे, शिव कृपा से सब सुख पावे॥
Author: Unknown Claim credit