श्री रामायण प्रारम्भ स्तुति

जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ।।

मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन ।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन ।।

नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन ।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन ।।

कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन ।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन ।।

बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि ।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर ।।

Author: प्रेम शंकर पाण्डेय जी

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी
गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

गुरु गोविंद सिंह जयंती
पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा

संग्रह