माई नव दिन की मेहमान, गवुर बाई आई पावणी।
थारा गरबा म नाचे सारी रात, गवुर बाई आई पावणी।।
देवउं झालरिया घूमी घूमी आज, गवुर बाई आई पावणी।।

दादुर मोर पपिहा बोले-2
असी कोयलड़ी कूके डार, गवुर बाई आई पावणी।
ओ मैया कर सोलह श्रृंगार, गवुर बाई आई पावणी।
माई नौ दिन की मेहमान………

ब्रह्ममा जी नाचे विष्णु जी नाचे-2
असा भोले बाबा डमरू बजाय, गवुर बाई आई पावनी।
थारा गरबा म नाचूं सारी रात………

चंदा भी नाचे सूरज भी नाचे-2
असा तारा भी शोर मचाय, गवुर बाई आई पावनी।
ओ माई कर सोलह श्रृंगार, गवुर बाई आई पावनी।
माई नव दिन की मेहमान, गवुर बाई आई पावनी।।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह