प्रथम शैलपुत्री

प्रथमं शैलपुत्री ,नवदुर्गा अवतार।
पहले नवरात्र इसी ,रूप का हो दीदार।।
दक्षसुता पतिदेव का,सही न सकी अपमान।
दक्षयज्ञ में कूदकर ,किये न्योछावर प्राण।।
पर्वतराज हिमालय की ,तपस्या रंग लाई।
शैलपुत्री बन सती ,माँ मैना घर आई।
मूलरूप में पार्वती ,धरकर रूप अनेक।
जगदम्बा जगकारिणी ,निज लीला रही देख।।
आदभवानी भगवती ,तीनलोक सरकार।
भवप्रीता भवमोचिनी ,करती कृपा अपार।।
हाथ कमल का फूल है ,बैल पर असवार।
संत भगत प्रतिपलिनी ,करे दुष्ट संहार।।
हेमवती गौरी उमां ,ममता की तस्वीर।
गौरवर्ण सुन्दर अति ,शांत शील गम्भीर।।
वरमुद्रा में देत है ,अति उत्तम वरदान।
आदिशक्ति माँ गौरजां ,करे विश्व कल्याण।।
शिवप्रिया शैलपुत्री ,महिमां अपरम्पार।
कहै ‘मधुप’ मिलकर करो ,माँ की जय जयकार।।

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