दरबार सजा है रे आये गणपति राजा,
ओ झूमो गाओ रे ओ खुशियां मनाओ रे भाजे बेंड और बाजा,
दरबार सजा है रे आये गणपति राजा,

गौरा के लाल जी को मोदक जो खिलते है,
मोदक खा कर के मेरे गणपति खुश हो जाते है,
ये माला माल करते भक्त को निहाल करते,
चले इनकी शरण में आजा
दरबार सजा है रे आये गणपति राजा,

सारे देवो से पहले ये पूजे जाते है
जिस घर में आ जाते है खुशिया बरसाते है,
ये दुःख हारता है ये सुख के करता है कर देते वारा न्याराम
दरबार सजा है रे आये गणपति राजा,

करलो तुम इनकी सेवा भर देते भंगारे भूधि के दाता है ये,
शिव जी के है प्यारे,
धुप्प और दीप जला गणपति जी को मना,
गिरी इनकी शरण में आजा,
दरबार सजा है रे आये गणपति राजा,

Author: Guru Ashish

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