गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
गुरु म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
म्हानै प्यारी प्यारी बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
हल्दी का रंग पीला होवे , केशर कद बण ज्यासी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥1॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मीठी मीठी बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
खीर खाण्ड का अमृत भोजन, सन्त नीवाला लेसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥2॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
कागा कँ गल पैप माला, हँसलो कद बण ज्यासी
मिल्या सन्त उपदेशी ॥3॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मीठी मीठी बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
खार समद बीच अमृत भेरी, सन्त घड़ो भर लेसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥4॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
साधु सन्त रल भेला बैठ्या, नुगरा न्यारा रहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥5॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
ऊँचे टीले धजा फरुके, चौड़े तकिया रहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥6॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
शरण मछेन्दर जती गोरख बोल्या, टेक भेष की रहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी ॥7॥
गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया भरया भण्डारा रहसी ओ राम
म्हानै मोंयले री बाताँ कहसी ओ राम
म्हानै झीणी झीणी बाता कहसी ओ राम
मिल्या सन्त उपदेशी
Author: Unknown Claim credit