गणपति शिव नंदन का अभिनंदन करते हैं
गणराज गजानंद का अभिनंदन करते हैं
बल बुद्धि विद्या के तुम सागर हो स्वामी
धनधान बड़ाई के नट नागर हो स्वामी
सब दर्द भरे दिल मिल सब कंदन करते हैं
गणपति शिवनंदन का अभिनंदन करते हैं

पितु मातु सखा स्वामी तुम साथी हो जन-जन के
है भक्त तुम्हारे ही तुम स्वामी भक्तन के
क्यों कष्ट अमन के नहीं भ्व भंजन हरते हैं
गणपति शिव नंदन का अभिनंदन करते हैं

उसने ही सजा पाई जिसने ही मुंह मोड़ा
रजनी पति चंदा का तूने ही गर्व तोड़ा
तेरे ही क्रोधनन से सब सेवक डरते हैं
गणपति शिवनंदन का अभिनंदन करते हैं

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