हे गणपति जगा दो किस्मत को मेरी सोती,
द्वारे पे तुम्हारे आके बेटी तुम्हारी रोती,
तुम ज्ञान की हो मूरत प्यारी तुम्हारी सूरत,

एसी तुम्हारी ज्योती कंकर भी बनता मोती
हे गणपति जगा दो किस्मत

हे गोरा माँ के नंदन चोकठ पे मैं तो आई
मेरे पुरे काज करदो घन आस लेके आई
तुम विघनो के हो हरता तुम्हे केहते सुख करता
फिर ऐसे ही ये बेटी जीवन को क्यों है खोती,
हे गणपति जगा दो किस्मत

मेरा कोई न ठिकाना जग करता है बहाना
मेरा आसरा हो तुम ही खाली नही लौटाना,
मुझ पे भी मेहर करदो मेरी भी झोली भरदो
मैं आंसुयो से अपने चरणों को तेरे धोत्ती,
हे गणपति जगा दो किस्मत

मेरी मांग अमर रखना रहू सदा सुहागन
मेरी गोद खेले ललना मेहके सदा ही आंगन
पूरी मुराद करना भंडार मेरे भरना
हो जाए वारे न्यारे जिस पर है किरपा होती
हे गणपति जगा दो किस्मत

Author: Unknown Claim credit

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