धुन- अम्बे तूँ है जगदम्बे काली
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन,
देवा, गणेश गजानन,
चरणों को, तेरे हम पखारते,
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते ll
शुभ कार्यो में, सबसे पहले, ‘तेरा पूजन करते’ l
विघ्न हटाते, काज़ बनाते, ‘सभी अमंगल हरते’ ll
ओ देवा,,, सिद्धि और, सिद्धि बांटे,
चुनते, राहों के कांटे,
खुशियों के, रंग को निखारते,
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते,,,
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन, ,,,,,,,,,,,,,,,,
ओमकार है, रूप तिहारा, ‘अलौकिक है माया’ l
लम्ब कर्ण, तेरे उज्जवल नैना, ‘धुम्र वर्ण है काया’ ll
ओ देवा,,, शम्भू के, लाल दुलारे,
संतो के, नैनन तारे,
मस्तक पे, चन्द्रमा को वारते
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते,,,
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन, ,,,,,,,,,,,,,,,,
गणपति बाप्पा, घर में आना, ‘सुख वैभव बरसाना’ l
एक दन्त, लम्बोदर स्वामी, ‘सारे कष्ट मिटाना’ ll
ओ देवा,,, लडूअन का, भोग लगाते,
मूषक, वहान पे आते
भक्तो की, बिगड़ी संवारते,
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते,,,
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन, ,,,,,,,,,,,,,,,,
धन कुबेर, चरनों के चाकर, ‘लक्ष्मी संग विराजे’ l
दसों दिशा नव, खण्ड में देवा, ‘डंका तेरा बाजे’ ll
ओ देवा,,, तुझमे जो, ध्यान लगाए,
मन चाहा, फल वो पाए,
नईया, भवंर से उबारते,
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते,,,
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन, ,,,,,,,,,,,,,,,,
बांझो की, गोदे भर देना, ‘निर्धन को धन देना’ l
दीनों को, सन्मान दिलाना, ‘निर्बल को बल देना’ ll
ओ देवा,,, सुनलो, अरदास हमारी,
विनती, करते नर नारी,
सेवा में, तन मन वारते,
हो देवा,,, आरती, तेरी हम उतारते,,,
जय हो,,, जय जय, हे गौरी नंदन, ,,,,,,,,,,,,,,,,
Author: अनिलरामूर्तीभोपाल