नंदी भिरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे,
गनपत पधारे गोरी ललना पधारे,
शिव घन मिठाई बाँट रहो देखो गनपत पधारे,
नंदी भिरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे……

शिव ने गज का शीश लगाया,
प्रथम पूज तुम को बनवाया,
घनो का इश बनाये रहे देखो गूंजे जयकारे,
नंदी भिरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे……

ब्रह्मा ने वेद दिए ज्ञान भरमानी,
लक्ष्मी लुटाई धन और धानी,
इंद्र एह रावत लाये रहे और वज्र भी लाये,
नंदी भरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे……

शिव गौरा के लाल हो प्यारे,
भव से देवा पार उतारे
चन्दन शीश झुकाए रहे,
देखो चरणों में थारे,
नंदी भिरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे,
गनपत पधारे गोरी ललना पधारे,
शिव घन मिठाई बाँट रहो देखो गनपत पधारे,
नंदी भिरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह