पाव में घुंघरू हाथों में कंगना

पांव में घुंघरु हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना……

ताता सा पानी सिला रे उबटन,
नहाए गजानन शंकर जी के अंगना,
धीरे धीरे गोरा झुलाय रही पलना,
पांव में घुंघरु हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना…..

पात पीतांबर ध्वजा धोवती,
पहने रे गजानन भोले जी के अंगना,
धीरे धीरे गोरा झुलाय रही पलना,
पांव में घुंघरु हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना….

घिस घिस चंदन भरी रे कटोरी,
तिलक लगाय रहे,भोले जी के अंगना,
धीरे धीरे गोरा झुलाय रही पलना,
पांव में घुंघरु हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना…..

हरे हरे दोने में मगद के लड्डू,
भोग लगाय रहे,भोले जी के अंगना,
धीरे धीरे गोरा झुलाय रही पलना,
पांव में घुंघरु हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना…..

कोरे कोरे मटके में ठंडा ठंडा पानी,
पीवे गजानन,भोले जी के अंगना,
धीरे धीरे गोरा झुलाय रही पलना,
पांव में घुंघरु, हाथों में कंगना,
आए गजानन गोरा जी के अंगना…..

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