गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं।
करत बिचार सबै ब्रजवासी, भय उपजत अति उर तैं।
लै लै लकुट ग्वाल सब धाए, करत सहाय जु तुरतैं।
यह अति प्रबल, स्याम अति कोमल, रबकि-रबकि हरबर तैं।
सप्त दिवस कर पर गिरि धारयो, बरसि थक्यौ अंबर तैं।
गोपी ग्वाल नंद सुत राख्यौ, मेघ धार जलधर तै।
जमलार्जुन दौउ सुत कुबेर के, तेउ उखारे जर तैं।
सूरदास प्रभु इंद्र गर्व हरि, ब्रज राख्यौ करबर तैं।

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह