ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी
पुरइनि पात रहत जल भीतर,ता रस देह न दागी
ज्यों जल मांह तेल की गागरि,बूँद न ताकौं लागी
प्रीति-नदी में पाँव न बोरयौ,दृष्टि न रूप परागी
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह