तर्ज – चल अकेला चल अकेला

बरसे धारा… बरसे धारा…. बरसे धारा…..
गुरु ऋषभ की याद में आंखों से ये बरसे धारा…..

विरह की वेदना अब गुरुवर हमको है सताये,
आ….
कहो दिल की ये पीड़ा ,हम जाकर किसको सुनाये,
आ…
हर भक्त पे मानो डाल दिया है , आज गमो ने डेरा,
बरसे धारा… बरसे धारा…. बरसे धारा…..
गुरु ऋषभ की याद में आंखों से ये बरसे धारा…..

लूटाकर प्यार भक्तो पर कहा तुम चले गये,
आ…
खुशियों के बादल देखो, गमो में ढल गये,
आ…
सुख का सूरज डूबा, छाया दुखो का ये अंधियारा,
बरसे धारा… बरसे धारा…. बरसे धारा…..
गुरु ऋषभ की याद में आंखों से ये बरसे धारा…..

पीयूष ये साथ है जन्मों का अब हम कैसे तोडले,
आ…
जिनचन्द्र प्रीत है तुमसे , कैसे मुख ये मोडले,
आ…
गुरु ऋषभ पुकारे दिलबर , हर भक्त ये आज तुम्हारा,
बरसे धारा… बरसे धारा…. बरसे धारा…..
गुरु ऋषभ की याद में आंखों से ये बरसे धारा…..

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