गुरु भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
राम भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी यह काया तेरी हो गई पुरानी….

इस काया का कोई ना ठिकाना,
एक दिन माटी में मिल जाना,
राजा हो या रानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी…..

हाड जले जैसे सूखी लकड़ियां,
मांस जले जैसे घास गठरिया,
धुआं उड़े आसमानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी…..

लख चौरासी भोग के आया,
मुश्किल से तूने नर तन पाया,
इस की कदर ना जानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी…..

जो तू चाहे भव से तरना,
श्री सतगुरु की ले ले सरना,
बन जा आत्मज्ञानी यह काया तेरी हो गई पुरानी,
हरी भजन कर प्राणी…..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह