की कहने मेरे हारा वाले दे की कहने

की कहने की कहने मेरे हारा वाले दे की कहने…..

धरती नच्चे अम्बर नच्चे नच्दे चंद सितारे,
ऐसी किरपा करती प्रभु ने हो गये वारे न्यारे,
मेले लगदे सदा ही रहने,
की कहने की कहने मेरे हारा वाले दे की कहने…..

नाम तेरे दी ऐसी मस्ती सब भगता ते चढ़ गई,
भव सागर विच डूबदी बेड़ी तेरे आसरे तर गई,
मैं जावा बलिहार कि केहने,
की कहने की कहने मेरे हारा वाले दे की कहने…..

जो भी आया दर तेरे ते सबना ने तर जाना,
दास तेरा नाम दे विच रंगया ही है जाना,
साडे तू मन ले कहने,
की कहने की कहने मेरे हारा वाले दे की कहने…..

Author: Unknown Claim credit

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