मुबारकाँ

मुबारकाँ

मुबारकाँ
सतिगुरु मेहर करी अज लगियां ने वेहड़े साडे रोनका,
सतिगुरु प्यारे कर्म कमाया अज दिन खुशियाँ वाला आया,
वेखो छाईयाँ मस्त बहारा गद गद हो के तन मन वारा,

वधाईया
सोहने सोहने लेख लिखे साड़े च सतिगुरु साईंया,
लोकी देन वधाई या सारे किते रब ने वारे न्यारे,
मुह मंगियाँ मिलियासोगाता पुरियां होइयां आस मुरादा,

दाता
तेरे सीवा कौन रखदा इंज नाल निमानेया दे नाता,
अद्भुत वे तेरी वध्याई हर दम खैर ख़ुशी दी पाई,
गुण अवगुण ना कदे विचारे बाहों फड फड पार उतारे,

उमरा
लंगदियां लंघ जावन पर नाम तेरा ना मैं बिसरा,
शुकर मनावा मैं दिन राती गुण गावा हो के जज्वाती,
मुखड़ा तक तक तेरा जीवन दर्शन जाम नित नित पीवा,

मंगदे
रंगा विच सुमिरन दे साहिल नु सदा लई रंगदे,
एहो मंगा रोज दुआवा तेथो दूर कदे न जावा,
सिर ते हथ मेहर दा थर दे सुमिरन ते सेवा दा वर दे,
मुबारकाँ

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