मुझे मिल गया मन का मीत

मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनियाँ क्या जाने ll
मेरी लगी गुरु संग प्रीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
*क्या जाने भई क्या जाने ll
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
मेरी लगी गुरु संग प्रीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l

बाजी जब गुरुवर पे लगाई l
पलट गया पासा मेरे भाई ll
मेरी हार हो गई जीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
मुझे मिल गया मन,,,,,,,,,,,,F

प्रीतम ने खुद प्रेम जताया l
करके इशारा पास बुलाया ll
है प्रेम की उलटी रीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
मुझे मिल गया मन,,,,,,,,,,,,F

ताल अलग है राग अलग है l
ये वैराग अनुराग अलग है ll
मन गाए किसके गीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
मुझे मिल गया मन,,,,,,,,,,,,F

सत्संगी होकर जो सीखा l
काम क्रोध खोकर जो सीखा l
कैसा है ये संगीत,
ये दुनियाँ क्या जाने l
मुझे मिल गया मन,,,,,,,,,,,,F

Author: Unknown Claim credit

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