ओहदी ज़िन्दगी च कमी ना कोई रेह्न्दी,
जो नाम जपे सतगुरु दा,
ओहदी हर एक मुराद पूरी हुंदी,
जो नाम जपे सतगुरु दा….

छड मुड़े तू सारे भरम भुलेखे,
चुप करके चित ला दियो लेखे,
फिर देखियो नज़ारे रूह लेंदी,
जो नाम जपे सतगुरु दा,
ओहदी ज़िन्दगी च …….

रहन नही दिंदा कोई फिकर ना फाके,
नाम धिओंदे जो गुरु शरनी आ के,
ओहदी दोनों जहानी शोभा हुंदी,
जो नाम जपे सतगुरु दा,
ओहदी ज़िन्दगी च …….

सतगुरु मेरे दियां गुजियाँ रमज़ा,
चाड देवे सचखंड ताई सुरता,
ओहदी चडी होई सूरत नज़ारे लेंदी,
जो नाम जपे सतगुरु दा,
ओहदी ज़िन्दगी च …….

जो सतगुरु दा नाम धिओंदा,
अन्दरो ही प्रभु दा ओ दर्शन पौन्दा,
अनहद बानी नु ओह अन्द्रो ही सुन्दा,
जो नाम जपे सतगुरु दा,
ओहदी ज़िन्दगी च …….

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