सत्गुराजी से ध्यान लगा रे मनवा

सत्गुराजी से ध्यान लगा आ…आ…आ…आ
रे मनवा क्यो फिरता विषयो मे वीषयो मे

सभी इंद्रियों को तू सम करले, इष्ट ध्यान हृदय में धरले
वहां पर सुरता आन लगा-आन लगा

गगन मंडल में बाजा बाजे,राग छत्तीसो धुन में गाजे
बंक नाल को तू चढ जा-तू चढ जा

दाता ध्यान एक देकर आसन, प्राणायाम कर दृढ सिंहासन
सुनकर आनंद तू हर्षा-तू हर्षा

अधर धार एक मूरत दरसे,ज्वाला कहे कोई हरिजन परसे
बूंद समंन्द मे तू मिल जा- तू मिल जा

सतगुरा जी से ध्यान लगा रे मनवा क्यों फिरता विषयो में

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