श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के

श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के,
हारा वाले दाता जी खजाने बैठे खोल के,
खजाने बैठे खोल के, खजाने बैठे खोल के,
श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के….

सब से प्यारे दाता का, दरबार सजा है ,
आने वाले आजा रे, तेरा भाग्य जगा है,
सोये हुए भाग जगाते है बेमोल के,
मेरे हारा वाले सरकार, खजाने बैठे खोल के,
श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के….

निर्धनों को रोज यहा धनवान बनाते है,
कुटियो में रहने वालो के महल बनाते है,
दुःख में रहने वालो का भी साथ नही छोड़ते,
मेरे हारा वाले सरकार, खजाने बैठे खोल के,
श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के….

सेवक को जो सेवा का ऐसा वरदान भी देते है,
उसे भगती की लहरो का, जो इक तूफ़ान भी देते है,
पतवार चलाते है भवपार लगाते है,
मेरे हारा वाले सरकार, खजाने बैठे खोल के,
श्री सतगुरु जी भगती के खजाने बैठे खोल के….

Author: Unknown Claim credit

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