वन वन डोले कुछ ना बोले सीता जनक दुलारी,
फूल से कोमल मन पर सहती दुख पर्वत से भारी,
धर्म नगर के वासी कैसे हो गये अत्याचारी,
राज धर्म के कारण लुट गयी एक सती सम नारी,

हम वन के वासी, नगर जगाने आए,
सीता को उसका खोया,
माता को उसका खोया सम्मान दिलाने आए,
हम वन के वासी नगर जगाने आए

जनक नंदिनी राम प्रिया वो रघुकुल की महारानी,
तुम्हरे अपवादों के कारण छोड़ गई रजधानी,
महासती भगवती सिया तुमसे ना गई पहचानी,
तुमने ममता की आँखों में भर दिया पीर का पानी,
भर दिया पीर का पानी,
उस दुखियां के आसूं लेकर आग लगाने आए,
हम वन के वासी नगर जगाने आए

सीता को ही नहीं राम को भी दारुण दुख दीने,
निराधार बातों पर तुमने हृदयो के सुख छीने,
पतिव्रत धरम निभाने में सीता का नहीं उदाहरण,
क्यों निर्दोष को दोष दिया
वनवास हुआ किस कारण,
न्यायशील राजा से उसका न्याय कराने आए,
हम वन के वासी, नगर जगाने आए,

हम वन के वासी, नगर जगाने आए,
सीता को उसका खोया माता को उसका खोया,
सम्मान दिलाने आए,
हम वन के वासी, नगर जगाने आए

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह