बाबा की दया से म्हारे ढोल बज गये,
कोठी बंगले तो अनमोल सजगे……

मेंहदीपुर का स धाम निराला,
किस्मत का यो खोलः र ताला,
घाटे आले बाबा महारे मन रजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजगे……

बालाजी ने रे मेहर फिराई,
दिल से सवामणी मन्नै लाई,
कुणबे के लोग बुराई तजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजगे……

पहले मेरा जीवन बड़ा ही अजीब था,
काम करया टुट क पर रहता गरीब था,
माड़ा सा नसीब था कर्म चढ़गे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजगे……

श्यामड़ी आले जपै नाम अनमोल है,
बल्लू ठेकेदार रटः ह्रृदय के पट खोल है,
कौशिक जी तो दिल तं भजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजग,
बाबा की दया ते महारः ढ़ोल बजगे,
कोठी बंगले तो अनमोल सजगे……

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