सागर पार जाना है

सागर पार जाना है

उठो हे पवनपुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है,
सागर पार जाना है,
बनी श्री राम पे विपदा भारी,
लंकपति हर लई जनकदुलारी,
तुम विरो में वीर बलकारी,
साबित कर दिखलाना है,
उठो हे पवनपुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है ॥

तुम सा कौन भला बलशाली,
है महावीर है धरा पर,
भरो अगर हुंकार तो रख दो,
तीनों लोक हिलाकर,
लांघ जाओगे इस सिंधु को,
लांघ जाओगे इस सिंधु को,
एक छलांग लगाकर,
किए जो बचपन में वो करतब,
किए जो बचपन में वो करतब,
कर दिखलाना है,
उठो हे पवन पुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है ॥

वो नर दंड का भागी जो,
नारी का करे अनादर,
घोर अपराध किया रावण ने,
कपट से किया हरण कर,
गढ़ लंका में मात सिया को,
गढ़ लंका में मात सिया को,
रखा कहाँ छुपाकर,
खोज खबर ले पूरी जल्दी,
खोज खबर ले पूरी जल्दी,
लौट के आना है,
उठो हे पवन पुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है ॥

उठो उठो बजरंग उठो,
रघुपति को धीर बंधाओ,
हर्षित हो प्रभु राम काम कुछ,
ऐसा कर दिखलाओ,
बल बुद्धि के स्वामी तुम हो,
बल बुद्धि के स्वामी तुम हो,
काल से भी टकराओ,
मर्यादा का ‘सरल’ तुम्ही ने,
ध्वज फहराना है,
उठो हे पवन पुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है ॥

उठो हे पवनपुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है,
सागर पार जाना है,
बनी श्री राम पे विपदा भारी,
लंकपति हर लई जनकदुलारी,
तुम विरो में वीर बलकारी,
साबित कर दिखलाना है,
उठो हे पवनपुत्र हनुमान,
सागर पार जाना है ॥

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