चलो ना सांवरे के दर वही दिन बीत जाएंगे,
सुना है भजनों से रीझे, नये हम गीत गायेंगे…

सुना है हार कर जो भी, शरण में इनकी आता है,
के देखे ना कभी फिर हार, सहारा जब वो पाता है,
अभी तक हारते आये, की हम भी जीत जायेंगे,
चलो ना सांवरे के दर…

गुनाह करतें हैं जो पापी, सुना वो भी यहाँ तरते,
है मिलती माफी उनको भी, गले से वोभी हैं लगते,
गुनाह होंगे हमारे माफ, हमें भी मीत बनायेंगे,
चलो ना सांवरे के दर…

सुना है प्रेमी का प्रेमी, इसे बस प्रेम भाता है,
तभी तो दानी है ये श्याम, ये करुणा ही बहाता है,
कहे ‘निर्मल’ की श्याम के दर से, हम भी प्रीत पायेंगे,
चलो ना सांवरे के दर…

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