चुपचाप बैठे सरकार थोड़ा वक़्त निकालो मेरे वासते,
तुमने भुलाया हम चले तेरे द्वार पर बाबा,
दर पे भूलके मुख को छुपाके बैठे क्यों मेरे बाबा,
डोर करो न एक बार थोड़ा वक़्त निकालो मेरे वास्ते,
चुपचाप बैठे सरकार….
कितनी परीक्षा बाबा लिख दी है तूने भाग्ये में मेरे,
अफ़सोस है ये डूब रही है नाइयाँ सामने तेरे,
हसने लगा है संसार,
थोड़ा वक़्त निकालो मेरे वासते,
चुपचाप बैठे सरकार….
हमको लगाए चौकठ तुम्हारी होगी मेरा किनारा,
हालत तो देखो दर पे हु तेरे फिर भी ढूंढू सहारा,
भक्ति हुई है शर्म सार,
थोड़ा वक़्त निकालो मेरे वासते,
चुपचाप बैठे सरकार….
Author: Sanjay Mittal