हम बिक गये खाटू के बाजार में, हो खरीद लिया श्याम सरकार ने,
कि दुनियां से क्या लेना, क्या लेना,
सांवरे के हो गये हम जबसे, सांवरे के हो गये हम ।।

(तर्ज – उड़े जब जब जुल्फें तेरी….)

हम श्याम प्रभु के दिवाने, मोल दुनियां हमारा क्या जाने,
कि सांवरे का क्या कहना, क्या कहना,
सांवरे के हो गये हम….

हमे सांवरे ने अपणा बणाया, इस दुनियां से पीछा छुड़ाया,
कि सांवरे के संग रहना, संग रहना,
सांवरे के हो गये हम….

अब श्याम से कराना इक वादा, है ये जन्म-जन्म का इरादा,
कि हाथ में पकड़ रखना, यूं ही रखना,
सांवरे के हो गये हम….

छाप ‘बनवारी’ अपनी लगा दे, सारी दुनियां को श्याम समझा दे,
दुबारा हमें नहीं बिकणा, नहीं बिकणा,
सांवरे के हो गये हम….

Author: Unknown Claim credit

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