कण कण में तेरा वास प्रभु,
जो करे दुखों का नाश प्रभु,
दुनिया भर की खुशियां, मेरे पास आ गई,
थारे धाम की माटी, म्हारै रास आ गई
खाटू धाम की माटी, म्हारै रास आ गई,
कण कण में तेरा वास प्रभु…
कोई नहीं दिख्यो अपणो जद,
तू ही नजर मनै आयो,
खाटू नगरी आ बैठयो, जब मेरो जी घबरायो,
पैर धरयो खाटू में, सांस मैं सांस आ गई,
थारे धाम की माटी, म्हारै रास आ गई…
खाटू की माटी का हमने, देखा अजब नजारा,
क्या निर्धन क्या सेठ सभी को, इसने पार उतारा,
दुनिया सारी करके, ये विश्वास आ गई,
थारे धाम की माटी, म्हारै रास आ गई…
रेत नहीं मामूली ये तो, है संजीवन बूटी,
मौज करूं दिन सांवरा, सोऊं तान के खूंटी,
होली और दीवाली, बारहों मास आ गई,
थारे धाम की माटी, म्हारै रास आ गई…
तेरी इस पावन मिट्टी में, मैं मिट्टी हो जाऊं,
सदा सदा के लिए तेरे, इन चरणों में सो जाऊं,
‘नरसी’ के होंठो पे इतनी, प्यास आ गई,
खाटू धाम की माटी, म्हारै रास आ गई…
कण कण में तेरा वास प्रभु,
जो करे दुखों का नाश प्रभु,
दुनिया भर की खुशियां, मेरे पास आ गई,
थारे धाम की माटी, म्हारै रास आ गई
खाटू धाम की माटी, म्हारै रास आ गई,
कण कण में तेरा वास प्रभु…
Author: Unknown Claim credit