ओ श्याम खाटू वाले,मुझे दर पे तूं बुला ले।
जग का हूं में सताया,अपने गले लगा ले।
मैं धन दौलत नहीं मांगू, ना चाहूं चांदी ना सोना।
श्याम चरणों में दे दे तू मुझे रहने को एक कोना।
मुझसे ही श्याम बाबा कैसा तुझे गिला है।
ओ श्याम खाटू वाले,मुझे दर पे तूं बुला ले।
जग का हूं में सताया,अपने गले लगा ले।
सुना है श्याम तेरे दर पर जो सच्चे मन से आ जाए।
कभी खाली नहीं लौटा जो मांगे मन से वह पाए।
मेरे भी मन की बगिया मेरे श्याम तुम खिला दे।
ओ श्याम खाटू वाले,मुझे दर पे तूं बुला ले।
जग का हूं में सताया,अपने गले लगा ले।
दरश का मैं तेरा प्यासा, दरश मुझको करा दे तू।
ओ हारे के सहारे सुन, ध्यान मुझ पर जरा दे तूं।
भक्ति का मेरे बाबा,मुझको सिला दिला दे।
ओ श्याम खाटू वाले,मुझे दर पे तूं बुला ले।
जग का हूं में सताया,अपने गले लगा ले।
जो विनती है मेरी बाबा जरा स्वीकार कर लेना।
मेरी झोली भी खुशियों से श्याम बाबा तू भर देना।
गलती जो मेरी कोई,मन से उसे भुला दे।
ओ श्याम खाटू वाले,मुझे दर पे तूं बुला ले।
जग का हूं में सताया,अपने गले लगा ले।
Author: Ram Kumar Lakha