शरण तेरी आन पड़ा हूँ अब सम्भालो ना श्याम धणी,
विनती मेरी सुननी ही होगी देखो विपदा आन पड़ी…..

कितनो की किस्मत को तुमने संवारा है,
हारे हुए का तू ही एक सहारा है,
मेरी भी तक़दीर बदलना बाकी है,
तेरी मोरछड़ी का एक पंख ही काफी है,
मुझको यकीं तेरी मेहरबानी होगी मुझपे घड़ी हर घड़ी,
हाँ सम्भालो ना श्याम धणी……….

सारे जग से हार के दर पे आया है,
दुखडो का बदल सर पे मंडराया है,
मुझको भरोसा खाली ना लौटाओगे,
तुम इस हारे को अपने गले से लगाओगे,
मिल जाएगी चंदा को खुशियां तेरी नज़रें जो मुझपे पड़ी,
विनती मेरी सुननी ही होगी देखो विपदा आन पड़ी,
शरण तेरी आन पड़ा हूँ अब सम्भालो ना श्याम धणी,
हाँ सम्भालो ना श्याम धणी,
अब सम्भालो ना श्याम धणी,
हाँ सम्भालो ना श्याम धणी…….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह