तेरा द्वार है कितना प्यारा, मन नहीं भरता देख नजारा
तेरे दर्श की लगन में, हमें आना पड़ेगा खाटू में दोबारा ।
तेरा द्वार है कितना प्यारा………

जैसा तेरा नाम है, वैसा ही तेरा धाम-2
जो भी आता है यहाँ, उसके हों सब काम-2
नाम उसी का, जीवन है जो, तेरे दर पे गुजारा
हमें आना पड़ेगा खाटू में दोबारा, तेरा द्वार है ……

जब ग्यारस की रात को, होता तेरा शृंगार-2
चाँद भी फीका सा लगे, चमके रूप अपार-2
बढ़ती जाए, ये बैचैनी, जितना करूँ नज़ारा
हमें आना पड़ेगा खाटू में दोबारा, तेरा द्वार है ……

श्याम कुंड की क्या कहें, ऐसी निर्मल धार-2
जन्नत से भी सुन्दर है, तेरा तोरण द्वार-2
चौक कबूतर, कढ़ी कचौड़ी, देखा “पाल” नज़ारा
हमें आना पड़ेगा खाटू में दोबारा, तेरा द्वार है ……

Author: विशाल मित्तल

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