आज है शरद् पूनम की रात

आज है शरद् पूनम की रात,
इक इक गोपी, इक इक कान्हा, खूब बनी महारास॥
पग नूपुर कटि पीत पीताम्बर, मोर मुकुट उर माला।
कालिन्दी तट नटवर नागर, आ पहुँचे नन्दलाला॥
ठुमक ठुमक करे चले कन्हैया, मन्द मन्द मुस्कात- आज है…
गोलोक की स्वामिनी राधा, ठाकुर रास बिहारी।
प्रक्टे रास मंडल में दोनों, प्रेम पुंज अवतारी॥
शरद पूनम में महारास की, हुई शुभ शुरुआत- आज है…
मृगनयनी गजगामिनी राधा, वृन्दावन की रानी।
महारास में चली स्वामिनी, ठाकुर की ठकुरानी॥
झनक झनक कर बजे पायलिया, कामरिया बल खात-आज है…
धर अधरन पर मनमोहन ने, मुरली मधुर बजायी।
निकल पड़ी घर से ब्रजबासन, तन की सुध बिसराई॥
लयलीन स्वर तान में उलझीं, चलीं तान के साथ- आज है…
खिले कमल दल, खिली चांदनी, महक उठी पुरवाई।
डार डार फल फूल पात संग, नाच उठी खुदाई॥
भई भीड़ कालिन्दी तट पर, थिरकन लागे साज- आज है…
ठहर गया जल कालिन्दी का, बहने लगा रस सागर।
मिले परस्पर प्रिया प्रियतम, नागरी अरू नटनागर॥
रूक गया नभ में नभ चन्दा, भई छः मासी रात- आज है…
महारास के जिस महारस को, सुरलोचन भी तरसे।
वही ब्रजरस,ब्रज-गोपिन पर,छम छम करके बरसे॥
बन गोपी कैलासपति भी, नाच उठे उस रात- आज है…
लगी गूंजने चहुं आर धुन, जै जै श्यामा, जै जै श्याम।
लगे बोलने गीत ‘मधुप’ के, जै जै श्री वृंदावन धाम॥
निरख निरख नहीं थके मधुप मन, बार बार ललचात- आज है…

Author: Unknown Claim credit

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