श्याम गोकुल को छोड़ मथुरा न जाइये,
अपनी राधा को ऐसे न तड़पाइए,
गोपी ग्वालो को ऐसे न विसराइये,
अपनी राधा को ऐसे न तड़पाइए…

रोये यमुना के तट हुआ सुना पनघट,
गइयाँ व्याकुल खड़ी आई कैसी घडी,
किये वादा जो था श्याम वो निभाइये,
अपनी राधा को ऐसे न तड़पाइए…

कैसे रह पाए गई मात यशोदा यहाँ,
प्राण तझ देंगी रो रो के सखियाँ यहाँ,
सांस बन कर के इस तन में बस जाइये,
अपनी राधा को ऐसे न तड़पाइए…

रास होगा न मधुवन में कान्हा कभी,
गिरी चरणों में बंधन करते सभी,
प्रेम की बांसुरी फिर से बजाइये,
अपनी राधा को ऐसे न तड़पाइए…

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