बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजना भूल गए

बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजना भूल गए

बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजाना भूल गए
मुरली का बजाना भूल गए 2
बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजाना भूल गए

ये अर्जुन तुम्हें बुलाता है क्या तीर चलाना भूल गए
ये दुनिया हम पर हंसती है क्या फर्ज निभाना भूल गए
बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजाना भूल गए

ये द्रोपती तुम्हें बुलाती है क्या चीर बढ़ाना भूल गए
ये लाज हमारी जाती है क्या शर्म बचाना भूल गए
बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजाना भूल गए

ये ग्वाले तुम्हें बुलाते हैं क्या गउए चराना भूल गए
यह गउए तुम्हें बुलाती है क्या बंसी बजाना भूल गए
बैकुंठ में रहकर गिरधारी मुरली का बजाना भूल गए

Author: Guru Ashish

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