धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया,
मैं ग्वालन बरसाने की, अरे मैं ग्वालन बरसाने की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

सिर पर घड़ा घड़ी पर गगरी,
सूरत लगा ली पनघट की रे भला,
सूरत लगा ली पनघट की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

घड़ा उतार पार पर रख दिया,
सूरत लगा ली खीचन की रे भला,
सूरत लगा ली खीचन की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

घड़ा उठाएं शीश पर रख लिया,
सूरत लगा ली महलन की रे भला,
सूरत लगा ली महलन की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

रस्ते में मिल गए कन्हैया,
हवा जो खा लो मधुबन की रे भला,
हवा जो खा लो मधुबन की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

घुंघट के पट ना खोलो कान्हा,
लाज जाए मेरे दो कुल की रे भला,
लाज जाए मेरे दो कुल की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

पहली लाज मेरी माई रे बाप की,
दुजी लाज ससुराल घर की रे भला,
दुजी लाज ससुराल घर की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

तोहै तो लाज अपने मोर मुकुट की,
हमें लाज घूंघट पट की रे भला,
हमें लाज घूंघट पट की,
धीरे धीरे बांसुरी बजा जा रे कन्हैया….

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