बार बार मैं तुम्हे पुकारूँ,
सुनलो लखदातार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
सुना है मैने श्याम बड़े तुम दानी हो,
ऐसा सुंदर रूप बड़े तुम शानी हो,
तन केसरिया बागो सोहे,
तन केसरिया बागो सोहे,
कैसा है श्रृंगार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
अहिलवती के लाल माया तेरी न्यारी है,
पुरो मन की आस भरोसो भारी है,
अद बीच नैया डूब रही है,
अद बीच नैया डूब रही है,
पार करो करतार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
‘आलूसिंह जी’ भक्त बड़े ताप धारी है,
चरण नवावे शीश ये दुनिया सारी है,
केसर तिलक लगावे थारे,
केसर तिलक लगावे थारे,
करे अजब श्रृंगार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
‘बंसीधर’ कर जोड़ चरण शीश नावे है,
तेरी कृपा घनश्याम यो हरदम चावे है,
चरण कमल को लियो आसरो,
चरण कमल को लियो आसरो,
तेरो ही आधार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
बार बार मैं तुम्हे पुकारूँ,
सुनलो लखदातार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार,
नैया हमारी श्याम,
आके लगाओ पार।।
Author: Unknown Claim credit