चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
मैया की डांट भी पाते हैं
पाते है डांट ये पाते हैं
इनको किसी का डर नहीं
ये नारायण हैं नर नहीं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
इक दिन लल्ला ने लिया
जो माटी खाय
गुस्से में मैया
हरि को डांट लगाय
इक दिन लल्ला ने लिया
जो माटी खाय
गुस्से में मैया
हरि को डांट लगाय
बोली खोलो मुख
हरि खोले मुख
देखा सारा जग
ब्रह्माण्ड सा
मैया तो डर के गिर गई
और बोली….
ये नारायण हैं नर नहीं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
नटखट चोर को
मैया ने सजा सुनाय
पर हरि को कोई रस्सी भी
बांध ना पाय
हो नटखट चोर को
मैया ने सजा सुनाय
पर हरि को कोई रस्सी भी
बांध ना पाय
लेके हरि का नाम
दिया हरि को बांध
गिरे सारे पेड़
चली आंधी तेज
लल्ला को कुछ भी हुआ नहीं
क्योकिं…..
ये नारायण हैं नर नहीं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
मैया की डांट भी पाते हैं
पाते है डांट ये पाते हैं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
चोरी चोरी माखन खाते हैं
खाते है माखन खाते हैं
Author: Unknown Claim credit