घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,
वाणी में तनिक मिठास नहीं,
पर विनय सुनाने आई हूँ…..

मैं देखूं अपने कर्मो को,
फिर दया को तेरी करूणा को,
ठुकराई हुई मैं दुनिया से,
तेरा दर खटकाने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ……..

प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
आँखों के दोनों प्यालों में,
मैं भीख मांगने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ……..

तेरी आस है श्याम निवाणीअणु,
तेरी शान है बिगड़ी बना देना,
तुम स्वामी हो मैं दासी हूँ,
संबंध बढ़ाने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ…..

समझी थी मैं जिन्हें अपना,
सब हो गए आज बेगाने है,
सारी दुनिया को तज के प्रभु,
तुझे अपना बनाने आई हूँ,
घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ………

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह