दिल के दर्पण में
चेहरा श्याम का
मन ये प्यासा है
उनके धाम का
छोड़ के सारी दुनियादारी
वृंदाबन में नैनन हारी
तुम भी दिल के दरवाज़े खोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोपाल बोलो
बारिश की बूंदें जैसे
उनकी लीला बरसे रे
बंसी की धुन मोहन लागे
सुन ने को मन तरसे रे
बारिश की बूंदें जैसी
उनकी लीला बरसे रे
बंसी की धुन मोहन लागे
सुन ने को मन तरसे रे
जो कान्हा का नाम पुकारे
कट जाते हैं दुख उनके सारे
लेके हाथों में दीये
तुम भगति में डोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोपाल बोलो
राधा रमण हरि गोपाल बोलो
राधे राधे राधे कृष्ण राधे राधे राधे
दुख सारे दूर हुए तेरे डर आके
राधे राधे-राधे कृष्ण, राधे-राधे,
तेरे संग पूरे, हम तेरे बिन आधे,
राधे-राधे, राधे-राधे, राधे-राधे, राधे-राधे,
राधे-राधे, राधे-राधे, राधे-राधे, राधे-राधे,
राधे-राधे, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण,
हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
Author: Akhil Sachdeva ,Akhil Sachdeva